श्री चंदन मुनि जी महाराज - संक्षिप्त जीवन वृत्त
काव्य-साहित्य की ऐसी विधा है, जो गागर में सागर समा लेती है परंतु कवि होना सरल निहीं है, लाखों में कोई एक वक्ता होता है और हजारों वक्ताओं में कोई एक कवि होता है और उस पर भी आशु कवि होना तो ईश्वरीय चमत्कार ही होता है। आपने ओसवाल कुल में 13 अक्टूबर 1914 को जन्म लिया। आपके माता-पिता पता का नाम श्रीमती लक्ष्मीबाई एवम श्री रामलाल जी बोथरा था। 16-17 वर्ष की आयु में ही आपने संसार की असारता को जान पूज्य स्वामी श्री पन्नालाल जी महाराज की निश्रा में वर्ष 1931 में दिक्षा अंगीकार कर ली थी। पूज्य श्री चंदन मुनि जी महाराज निर्मल चरित्र के चमत्कारी आशु कवि थे। आपकी सरलता, विद्वता एवम चमत्कार रचनाओं का अपूर्व संसार दुर्लभ ही नही दुर्लभतम है। आप श्री बहुआयामी कलाकार संत एवम ज्योतिर्विज्ञान, योग मुहूर्त के महाज्ञाता थे। आपकी साधना का प्रमुख उद्देश्य साहित्य सृजन करना था। अनुमानतः आपके द्वारा रचित 80 से भी ज्यादा काव्य प्रबंध, खंडकाव्य, महाकाव्य की रचना की गई। जिसमें प्रमुखतः संगीत जंबू कुमार, संगीत सती दमयंती, चंदनबाला, चंदन दोहावली-2260 दोहों का ग्रंथ, मेघ चर्या, गीतों की दुनिया, संगीत संजय राज ऋषि, संगीत धन्ना शालिभद्र, महासती मदन रेखा, भगवान पार्श्वनार्थ-400 पेज की काव्यग्रंथ, अमरता के दो राही-जिसमे-1. संगीत श्री मेघ कुमार और 2. संगीत श्री थावर्चापुत्र- दो महान आत्माओं की काव्यमय जीवन गाथा को जो भी सुनता झूम उठता और मधुर कंठप्रिय स्वरों के साथ संगीत में डुबकियाँ लगाता।
गीदड़बाहा ( पंजाब ) आपका मुख्य कार्य क्षेत्र रिहा। श्री चंदन मुनि स्वभावत: ही एक सरस कवि रहे, आपने जो कुछ भी और जितना भी लिखा है वह सब काव्यमय और छंदोबद्ध है। जैन परंपरा में ऐसा कोई महापुरुष नहीं रहा होगा जिस पर चंदन मुनि ने कुछ नहीं लिखा हो। पंजाब के संतों में चंदन मुनन कवि के रूप में तो ख्याति प्राप्त रहे ही, पर उनका आंतरिक रूप तत्त्व- चिंतक और तत्वदर्शी का रहा। वस्तुतः के जीवन के एक यर्थावादी दर्शनिक संत रहे हैं। उनकी रचनाओं में कल्पनाओं की उड़ान कम और जीवन का यर्थावादी दृष्टिकोण मुखर होकर सामने आया। उन्होंने जीवन को शब्दचित्र रूप में यर्थाथ में सफलता के साथ अंकन किया। वे एक कवि, एक विचारक, वे जीवन के चित्रकार, और मधुरवक्ता थे। संगीतप्रियता उनका जन्म सिद्ध अधिकार रहा, इसलिए उन्होंने जो कुछ भी लिखा वह सब काव्यमय है। उनके द्वारा रचित सभी पुस्तकों से काव्य में छुपे हुए जीवन के मूल संदेश और मधुर प्रेरणा मिलती है। यह आपके कवित्व की सफलता है। आपके साहित्य और काव्य पर डॉ. मुल्खराज जैन, लुधियाना के द्वरा शोध भी किया गया है।
आपकी कविता में प्रेरणा है, आकर्षण है, मानव को अमरता की ओर उन्मुख करने वाली वह शक्ति है, कि वह मोह के, ममता के बंधन तोड़ कर अकेला ही निकल पड़ता है। आप 93 वर्ष की बड़ी अवस्था में लुधियाना में देवलोक गमन हुआ, तत्पश्चात आपकी पार्थिव देह गीदड़बाहा ( पंजाब ) ले जाई गई, जहां आप की स्मृतियां आज भी शेष है। मुनि मधुकर के विचारों में : “श्री चंदन मुनि पंजाबी पहले ऐसे जैन संत हैं जिन्होंने जनता की भाषा में, जनता के लिए, इतना सुंदर, सरस प्रेरणादायी साहित्य रचा है वह भी संगीत मय।“ पूज्य श्री देवेंद्र मुनि शास्त्री के विचारों में : “मैं कवि नहीं पर आपकी पुस्तकें पढ़ कर कवि बनने की उत्कट अभिलाष जागृत हो जाती हो है कि कितना सुंदर और सरस लिखते हैं आप, आप के समान कवि को पाकर जैन समाज धन्य है”। ऐसे कविकुल चूड़ामणि, आशु कवि सरल मना, मां शारदापुत्र, मां सरस्वती कृपा पात्र पूज्य श्री चंदन मुनि जी महाराज साहब की 109 वी पावन जन्म जयंती के अवसर पर सादर नमन वंदन अभिनंदन। आपकी कृपा और अश्रीवाद संघ, समाज और परिवार पर सतत निरंतर बरसती रहे।
लेखक :- सुरेन्द्र मारू, इंदौर ( +91 98260 26001)
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