जोरो (केन्या) की गुफा में निर्ग्रन्थ जैन मुनि के आवास के प्रमाण
श्री निर्मल कुमार जैन ( सेठी )
राष्ट्रीय अध्यक्ष-श्री भा. दि. जैन महासभा
हम लोगों ने इथोपिया की यात्रा करते समय यह निश्चय किया था कि अगली केन्या की यात्रा दिसम्बर में करेंगे जोकि इथोपिया से सटा हुआ देश है। मई की इथोपिया की यात्रा के बाद केन्या जाकर वहां सब विद्वानों से मिलकर 13-14-15 दिसम्बर, 2017 को किसुमु (Kishumu) में सेमीनार करने का निश्चय किया था। उसी अनुसार हम लोग 12 तारीख को प्रातःकाल नैरोबी के लिए रवाना हुये।
हम लोग दिल्ली से 25 और 6 लोग मुम्बई से गये थे। इथोपिया से भी 3 विद्वान सेमीनार में सम्मिलित हुए।
दिनांक 12 दिसम्बर, 2017 को दोपहर में हम लोग नैरोबी पहुंच गये थे तथा वहां भोजन इत्यादि करके स्वामीनारायण मन्दिर के दर्शन करके रात को 3 बजे किसुमु पहंुचे।
दिनांक 13 को ग्रेट लेकस् यूनीवर्सिटी (Great Lakes University) किसुमु में सेमीनार प्रातः 10 बजे प्रारम्भ हुआ, सेमीनार 3 सत्र में हुआ, जिसमें अनेक लोगों के पेपर पढे़ गये। दूसरे दिन भी सेमीनार 3 सत्र में हुआ और उसमें भी अनेक लोगों के पेपर पड़ें गये। श्री के.एन. दीक्षित (पूर्व संयुक्त महानिदेशक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, भारत सरकार) ने पुरातत्व एवं जैनिज्म (Archaeology and Jainism ), प्रो. डी. पी. तिवारी (प्रो. लखनऊ विश्वविद्यालय) ने जैन फिलॉसफी ऑफ अहिंसा एण्ड इट्स सिग्नीफिकेन्स फॉर ह्यूमैनिटी एंड वर्ल्ड पीस (Philosophy and Arts as a Peace Building element) डॉ. अनेकान्त कुमार जैन (लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ) ने नॉन वायलेंस एंड वर्ल्ड पीस (Non Violence & World Peace), प्रो. एस. के. द्विवेदी (जीवाजी विश्वविद्यालय) ने इंटरप्रेटिंग जैन फिलॉसफी एंड आर्ट्स एज ए पीस बिल्डिंग एलीमेंट (Interpreting Jain Philosophy and Arts as a Peace Building element), डॉ. राजमल जैन ने लॉज़ ऑफ़ नेचर इन कॉन्टेक्स्ट टू जैनिज़्म एण्ड साईंस (Laws of Nature in Context to Jainism and Science), डॉ. सुमन जैन (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय) ने अर्धफलका : जैन मॉन्क्स ऑफ़ मथुरा (Ardhaphalaka : Jain Monks of Mathura), प्रो. नरेन्द्र कुमार जैन इम्पोर्टेंस ऑफ़ मैडिटेशन इन जैनिज़्म (Importance of Meditation in Jainism) एवं प्रो. रविप्रकाश जी ने ए हिस्टोरिकल एनालिसिस ऑफ़ इंडियन माइग्रेशन तो केन्या विथ स्पेशल रिफरेन्स टू जैन कम्युनिटी (Historical Analysis of Indian Migration to Kenya with special reference to Jain Community) श्री गौरव जैन ने कर्म सिद्धान्त (Karma Theory), सुश्री रोशनी सांघवी जैन ने नॉन वायलेंस (Non Violence), प्रो. केबेडे अमारे ने द टैम्पल्स ऑफ मेकाबर ग्येवा एण्ड येहा (The Temples of Meqaber Geawa and Yeha) आदि अन्य अफ्रीकी विद्वानों ने भी अपने-अपने शोध पत्र पढ़े।
समापन समारोह 15 दिसम्बर को विश्वविद्यालय के मुख्यालय में हुआ जिसमें विश्वविद्यालय की वाईस चांसलर प्रोफेसर एटीनियो ए नदेदे अमादी (Prof. Atieno A. Ndede-Amadi) भी उपस्थित थीं तथा उन्होंने भारत तथा इथोपिया से आये हुए समस्त प्रतिनिधिमण्डल का स्वागत किया और इस विशाल सेमीनार को करने के लिए ऑल इंडिया दिगम्बर जैन हेरिटेज प्रीजर्वेशन ऑर्गेनाइजेशन (All India Digamber Jain Heritage Preservation Organisation) को धन्यवाद दिया। सेमीनार के समापन के बाद अनेक लोगों ने वहां के विक्टोरिया लेक को देखने गये और अनेक लोगों ने नौका विहार भी किया।
दिनांक 16 दिसम्बर को प्रातः 6 बजे किसुमु से हम लोग नैरोबी के लिए रवाना हुये और प्रातः 8 बजे नकुरू (केन्या) पहुंचे। वहां पर क्षुल्लिका विस्मिताश्री माताजी संघस्थ परमपूज्य आचार्यश्री विरागसागर जी महाराज एवं स्वस्ति भट्टारक श्री लक्ष्मीसेन जी महाराज ज्वालामालिनी का श्रीमती प्रीति शाह के घर पर आहार हुआ और उन्होंने सब लोगों को नाश्ता कराया। केरीचो (Kerricho, Kenya) में हर तरफ चाय बागान थे, जिन्हें देखने गये जिस तरह से हमारे आसाम में चाय बागान अंग्रेज कम्पनी के थे, उसी तरह से सुव्यवस्थित चाय बागान थे और सड़कें बहुत साफ थी। उन बागानों को देखकर सब लोग काफी खुश थे और मुझे भी लगा कि इतनी विशाल जगह पर सफाई रखते हैं, उनसे हमें सीख लेनी चाहिए। महासभा के कार्यालय को भी सुव्यवस्थित और साफ रखना चाहिए।
फिनले (Finlay) कम्पनी चाय की बहुत बड़ी कम्पनी है। भारत के अलावा कई देशों में भी इसके चाय बागान हैं। हम लोग जोरो गुफा पहुंचे। इस गुफा में प्राचीनकाल की लिखी हुई लिपि देखी और त्रिछत्र भी बना हुआ देखा। लिपि को पढ़कर ब्र. डॉ. स्नेहरानी जैन ने कहा कि यह हमारी ब्राह्मी लिपि से भी पुरानी लिपि रही है और देखने से स्पष्ट होता है कि यहां पर प्राचीनकाल में जैन संस्कृति रही होगी और जो डॉ. गोकुल प्रसाद जैन ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि 3 हजार वर्ष पूर्व यहां पर निग्र्रन्थ साधु एबीसिनिया और इथोपिया में विचरण करते थे, यह बात सही लग रही है। बड़ी गुफा के सामने नदी के पार छोटी-छोटी बहुत सारी गुफायें थीं, जिनको हमारे भट्टारक स्वामी जी, श्री ए.के. खन्ना और डॉ. रविप्रकाश ने देखा।
श्री डी.पी. तिवारी (पुरातत्व विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय) ने बहुत खुशी के साथ कहा कि इन लिपियों को देखने से यह स्पष्ट होता है कि यह गुफायें जैन संस्कृति से सम्बन्ध रखती हैं। इन गुफाओं में निग्र्रन्थ जैन मुनि तपस्या करते थ। इन गुफाओं को देखने से हम लोग बहुत खुश हुए और वहां के रहने वाले आदिवासियों को काफी ईनाम दिया।
यहां गौर करने वाली यह बात थी कि इन गुफाओं को भारत की तरह केन्या की सरकार ने संरक्षित नहीं किया था। न वहां कोई चैकीदार था और न ही गुफाओं के सामने कोई वर्णन था और न ही गुफाओं में जाने वाले रास्ते का मार्गदर्शन था।
गुफाओं के दर्शन के बाद हम लोग नकुरू (Nakuru) पहुंचे और वहां पर सब लोगों ने श्री जलाराम अराधना टैम्पल की भोजनशाला में भोजन किया। रात्रि के लगभग 2 बजे नैरोबी पहुंचे और होटल में ठहरे।
17 तारीख को हम लोग नेशनल म्युज़ियम को देखने गये और स्वामी नारायण मन्दिर के पुनः दर्शन किये।
18 तारीख को हम लोग प्रो. के.एन. दीक्षित जी, प्रो. डी.पी. तिवारी एवं प्रो. शिवकांत द्विवेदी ने म्युज़ियम के क्यूरेटर (Curator) से मिलकर भली-भांति सूक्ष्मतापूर्वक म्युज़ियम का निरीक्षण किया और उससे काफी संतुष्ट हुए। श्री दीक्षित जी ने हमें बताया कि इतने अच्छे तरीके से म्युज़ियम की देख-रेख हिन्दुस्तान में कभी नहीं होती। उन्होंने वहां के म्युज़ियम की काफी सराहना की। म्युज़ियम के डायरेक्टर डॉ. क्यूरा पुरिटी (Dr. Kiura Purity, Director Museums-Sites & Monuments) से बात की और केन्या आने का कारण बताया। उन्होंने अपने प्रतिनिधि के साथ हमें पूरा म्युज़ियम दिखाया तथा म्युज़ियम की टिकट भी फ्री कर दीं।
शाम को भट्टारक स्वामी जी ने केन्या में भारतीय राजदूत श्रीमती सुचित्रा दुराई से मिलने का कार्यक्रम आयोजित किया। महासभाध्यक्ष श्री निर्मल कुमार जैन सेठी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमण्डल मिलने गया। लगभग एक घंटा हमारी चर्चा हुई। राजदूत महोदया ने हमें कहा कि जो आपका काम कर रहे हैं, उसके लिए उन्हें धन्यवाद दिया और बताया कि ऐसे कार्यों में उनका पूरा सहयोग केन्या में मिलेगा। उन्होंने बताया कि भारत और केन्या का मधुर सम्बन्ध है। हमने उन्हें डॉ. गोकुलचन्द जैन, डॉ. शुगनचन्द जैन, डॉ. जे. डी. जैन एवं डॉ. स्नेहरानी जैन द्वारा लिखी पुस्तकें भेंट की। राजदूत महोदया को पुरातत्व पर काफी ज्ञान था। उन्होंने हमें अनेक विषयों पर अपना मार्गदर्शन दिया। हमने उन्हें मिलने का समय देने एवं हमारी बातों को धैर्यपूर्वक सुनने के लिए धन्यवाद दिया।
दिनांक 19 दिसम्बर को प्रातःकाल हम लोग श्री दिगम्बर जैन मन्दिर के दर्शन किये और वहां पर श्री रमेश भाई ने सब लोगों को अपने सम्बोधन द्वारा सम्मानित किया और बाद में प्रसिद्ध विद्वान डॉ. अनेकान्त जैन ने मीटिंग का संयोजन किया। इस मीटिंग में प्रो. नरेन्द्र कुमार जी ने केन्या आने का उद्देश्य बताया और कहा कि जो अभी तक उन्होंने केन्या में देखा है, उससे पता चलता है कि यहां की संस्कृति का जैन संस्कृति से अवश्य प्राचीनकाल में सम्बन्ध रहा होगा।
ब्र. डॉ. स्नेहरानी जैन ने उपस्थित लोगों को बताया कि यहां की प्राचीन गुफाओं को देखकर वे निश्चित हो गई हैं कि यहां प्राचीनकाल में जैन साधु रहते होंगे और वहां पर जैन संस्कृति के होने के चिह्न भी उन्होंने गुफाओं में देखे हैं। उन्होंने बताया कि गुफाओं में त्रिछत्र देखा है, जो अवश्य ही जैन धर्म से सम्बन्ध रखता है। उन्होंने कहा कि जो भाषा गुफा में लिखी गई हैं, वह काफी प्राचीन है। उसपर शोध होना चाहिए।
वाराणसी से आई बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रो. डॉ. सुमन ने बताया कि वह पहली बार केन्या आई हैं। यहां की गुफाओं तथा लॉस्ट पैराडाइज (Lost Paredise) गुफाओं को देखकर यह लगता है कि प्राचीनकाल में जैन साधु इन गुफाओं में तपस्या करते होंगे। गुफाओं में मिले लिपि से यह बात स्पष्ट होती है कि यहां पर प्राचीनकाल में जैन साधु रहते होंगे।
शाम को अनेक लोग सफारी देखने के लिए चले गये तथा अनेक जानवरों एवं पक्षियों को देखा। यहां केन्या की प्रसिद्ध मशाई-मारा एवं नेशनल पार्क नैरोबी सफारी है। इसके अलावा भी मशाई-मारा में संसार की सबसे बडी सफारी थी, जिसको देखने के लिए प्रो. नरेन्द्र कुमार जैन, श्रीमती अनीता जैन, श्री मुकेश जैन, श्री गौरव जैन, डॉ. अनेकान्त जैन, श्री आर. सी. जैन, श्री एवं श्रीमती राजमल जैन गये। यह संसार की सबसे बड़ी सफारी हैं और उन लोगों ने 10-12 शेरों को एक साथ बैठे देखा।
नैरोबी नेशनल पार्क को देखने प्रो. के.एन. दीक्षित, प्रो. डी. पी. तिवारी, प्रो. एस. के. द्विवेदी, प्रो. सुमन जैन, प्रो. रविप्रकाश, श्रीमती वर्षा रानी, श्री विकास जैन, श्री ए.के. खन्ना, श्री विमल जैन, श्री विवेक जैन, श्री विजय जैन, श्री सौमित्र मण्डल आदि गये।
सांय को 4 बजे साइकोलॉजिकल सोसायटी ऑफ केन्या (Psychological Society of Kenya (Technical University of Kenya) में विद्वानों की एक मीटिंग हुई जिसमें प्रो. मुम्माह, डॉ. अरुण दत्ता, डॉ. पैट्रिक एम. डिक्कर तथा अन्य कुछ लोग उपस्थित थे। इस मीटिंग में उन्होंने हमें बताया कि हमें नैरोबी विश्वविद्यालय से शीघ्र ही सम्पर्क करना चाहिए क्योंकि वे लोग पुरातत्व के बारे में ज्यादा जानकारी रखते हैं। तथा बच्चों को पढ़ाते हैं। हमने जब गुफाओं के बारे में बताया तो वे बहुत प्रभावित और आश्चर्यचकित हुए।
डॉ. पैट्रिक एम. डिक्कर मशाई कबीला के प्रतिनिधि थे। उन्होंने उस सभ्यता के बारे में श्रीमती वर्षा रानी को विस्तारपूर्वक बताने का वचन दिया। उपस्थित विद्वानों ने भारत से केन्या आने के लिए धन्यवाद दिया और बताया कि हमारे इस अभियान में उन लोगों का सहयोग हमेशा मिलता रहेगा। श्री दत्ता ने विशेषरूप से बताया कि आपको केन्या में रहने वाले जैन धर्मावलम्बियों से भी इस कार्य में सहयोग लेना चाहिए, उसके लिए वे अपना सहयोग भी देंगे।
हम लोग 20 तारीख को प्रातःकाल हवाई अड्डे के लिए रवाना हुए और 11.30 बजे इथोपियन एयरलाईन्स से लगभग 2 बजे आदिसअबाबा पहुंचे और वहां से 04.30 बजे चलकर रात्रि 2 बजे भारत पहंुचे। इस तरह से केन्या की यात्रा में सकुशल पूरी हुई।
श्री निर्मल कुमार जैन ( सेठी )
जन्म तिथि-जन्म स्थल | 8 जुलाई, 1938 - तिनसुकिया (आसाम) |
पिता का नाम एवं पता | स्वर्गीय श्री हरकचन्द जैन सेठी हरकचन्द रोलर फ्लोर मिल्स, सीतापुर (उत्तर प्रदेश) |
शैक्षिक योग्यता | बी.कॉम - सेंट जेवीयर्स कालेज, कोलकाता विश्वविद्यालय |
सम्मान | महासभा अध्यक्ष्यता रजत महोत्सव में 4 जनवरी ’06 को श्रवणबेलगोल (कर्नाटक) में स्वस्तिश्री चारुकीर्ति भट्टारक महास्वामीजी द्वारा ‘श्रावकरत्नमणि’ उपाधि से सम्मानित |
संबंधित संस्थाएं | राष्ट्रीय अध्यक्ष : श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन (धर्म संरक्षिणी) महासभा, लखनऊ स्थापित 1894 - 3 जनवरी सन् 1982 से निरन्तर अध्यक्ष निर्वाचित। श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन (तीर्थ संरक्षिणी) महासभा,लखनऊ - स्थापना वर्ष 1998 से। श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन (श्रुत संवर्धिनी) महासभा, नई दिल्ली - स्थापना वर्ष 2004 से। जैन राजनैतिक चेतना मंच सुन्दरी संगीत कला अकादमी, नई दिल्ली। -स्थापना वर्ष 2014 समस्त जैन संस्थाओं की समन्वय समिति, नई दिल्ली। - स्थापना वर्ष 2015 श्री दिगम्बर जैन कुण्डलपुर वैशाली तीर्थ क्षेत्र कमेटी, वैशाली, बिहार। श्री गोपाल दिगम्बर जैन सिद्धान्त संस्कृत महाविद्यालय, मुरैना (मध्य प्रदेश) इंटरनेशनल सेंटर फाॅर निगन्थ ट्रेडीशन परम संरक्षक : श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महिला महासभा, नई दिल्ली। संरक्षक : श्री दिगम्बर जैन अयोध्या तीर्थक्षेत्र कमेटी रायगंज, अयोध्या, उत्तर प्रदेश मंत्री : आर. एम. पी. डिग्री कालेज, सीतापुर, उत्तर प्रदेश। |
निर्देशन में प्रकाशन शोध ग्रन्थ एवं पत्रिकाएं: |
लखनऊ से प्रकाशित : जैन गजट (हिन्दी-भारत का सर्वाधिक प्राचीन साप्ताहिक) प्राचीन तीर्थ जीर्णोंद्धार (मासिक) श्रुत संवर्धिनी (मासिक) जैन महिलादर्श (मासिक) विभिन्न धार्मिक, पुरातत्व, शैक्षिक एवं शोध ग्रन्थ |
धर्म प्रभावना-अध्ययन-यात्राएं | नार्थ एवं साउथ अमरीका, इंग्लैण्ड, यूरोप, जापान, मध्य एवं सुदूर-पूर्व एशिया। |
पता | 5, खण्डेलवाल जैन मन्दिर काम्प्लेक्स्स्स, राजा बाज़ार, शिवाजी स्टेडियम के पास, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली - 110001 |
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